सुलभ संडास और विकास ,,,,,,,,,,,,,,
सियासत के लब्ज फिक्स हैं विकास के लिए ,,
फंड खुल रहे ,,सुलभ संडास के लिए ,,
नालियों में देश का भविष्य बैठ कर ,,
चुन रहे है कीड़े समाज के लिए ,,,,
संसाधनों का लोटा खाली कंहा हुआ है ,,
किसकी है प्यास बुझी ,,ये सबको पता है
समता का पाठ जिसने माइक से है पढाया ,,
मेरी झोपड़ी हटा कर बंगला बना लिया है ,,
अनुभव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें