शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

जेहादी के लिए,,,मेरे सवाल

जेहादी के लिए,,,मेरे सवाल

तू यूं बारूद पे तिलि,, दिखा के चल दिया
जो बह गया जमी पे, तेरा भी खून था मेरा भी खून था,,

तेरे जसबात की बाते,,ना मै समझ सकु
मेरे भाई क्या इतना ,,,भी मै मसगूल था,,

जो मारा गया उस शख़्स के चीथड़ों को जोड़ कर,
बता,मुझे वो राज था की मकबूल था

तेरा जेहाद जिन धमाको का है मोहताज,,
तड़पती हुई हर लास में खुदाया रसूल था,,,



Anubhav 

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