गुरुवार, 23 मार्च 2017

शेक्सपियर के हीरो

योगी बनिस राजा,,ता
पलट दिस कहिनी
रोमियो किथें जूलियट ल
पावँ परत हो बहिनी,,,

जेन मजनू मुहब्बत
के दरिया सुखाय,,अब
शेक्सपियर के हीरो,,संग
उठक बैठक लगाय

कुँवारा मनखे के
इही रिथे बाय
हम निही पायन ता
कोनो नही पाय

अनुभव

रविवार, 5 मार्च 2017


गल्ली साफ़ हे नँल्ली साफ़ हे
अब जिल्ला मुंगेली साफ़ हे
जेकर घर के मोरी सुख गे
ते बिकट शर्मिंदा हे,,,,
फेर,,, शौचालय सब जिन्दा हे जिन्दा हे जिन्दा हे
अब आघु के चिंता हे चिंता है चिंता है

बाहिर नही जाना,,ममा
बनगे हे पैखाना ,,ममा
चघा अपन पैजामा ,,ममा
साफ़ सफई के जमाना ,,ममा,,,
अब ममा तको शर्मिंदा हे
फेर ,,,शौचालय सब जिन्दा हे,,,
अब आघु के चिंता है,,,,

उठो बबा अब आँखि खोलो
लोटा धरो,,शौचालय होलो,,
खेत कोती फिर जाना नही
गावँ के नाम डुबाना नही
बबा तको शर्मिंदा हे