आगे आगे देखिये ,,
क्या मर्ज तहसीलदारी है
कमबख्त कब नजर फिसली ,,
फिर मेरी और तेरी बारी है,,,
हर दस्तखत सबूत है
रोज के अपराध का
हर आदेश बोलता है
इनका मोटिव भर्स्टाचारी है
कमबख्त कब नजर फिसली
फिर मेरी और तेरी बारी है
गाय की जुगाली,,गोबर उलद रही
कुछ फर्श लिप गए,,कुछ कण्डे जला गए
सांडो की लड़ाई,,अब राष्ट्रीय खेल है
कुछ पीठ पे बैठे ,,कुछ खंजर घुसा गए
खाक पे अखलाख के,,मनोंरजन कम न हो
कुछ टीवी पे चीखे,,कुछ यू एन से आ गए
अनुभव
भरे बिहिनिया घर के अंगना अब
टेटकू पियत हे दारु
जंहा खोलिस चेप्टी के ढकना
चरर्स ले पड़ गे झारू,,,यहा काय रे
तैं अभी ले नई समझे रे रोगहा,,,,(बीबी)
करू हे पापा ये हर भारी करू हे(बेटा कहता है)
मस्त मझनिया बिकट थकासी
टेटकू के टोटा सुखागे
बोतल खोल के मारिस पालथी
खेत खार बग्या गे ,,यहा काय रे
करू हे रे ये हर भारी करू हे( खेत से लोग पथरा मारते है)
संझा जात ले लुका छिपा के
टेटकू पहुचिस मशान
अक़्क़ेला में होही सेटिंग
साले सब होंगे विद्वान,,,(धूंगीया छूटत हे)
यहा काय रे,,,,,,
हीही हीही हीही ,,,,,,(कब्र से तातु का भूत निकलता है)
करू हे रे बेटा ,,ये हा भारी करू हे
बाई जाग गे,,गावँ जाग गे
जाग गे ,,,बस्ती टोला
जिनगी ला करुवाये बर
बेटा ! नई पीना हे तोला
हओ ददा अब नई पीना हे मोला(बोतल तोड़ता है)
नशे के खिलाफ जंग
लड़ेंगे एक संग,,,,...
शक्ति के स्वेद से
शिव पुत्र का सृजन
हस्ति मस्तक धरे
विश्व ज्ञान वरन
शुभ प्रारम्भ देव
श्री गणेशाय नमन
शर्मा गया,,,
बहुसंख्यक राजनीति करें
अल्पसंख्यक प्रदूषण
मुर्गे खुश है बांग देंगे
मिमयाते बकरों संग
जब बिहार वोट करेगा,,,,
अपनी जाति चुनेगा या धर्म
मुल्क का मर्ज गुप्त है
अर्ज करु कैसे,, आती है शर्म
अनुभव,,, शर्मा।
छत पे छाई बदली
क्यूँ उदास है पगली
गली रही है ताक
किसका खुले सौभाग्
सुवर्ण कभी तो टपके
कैच कौन ये लपके
पर हाय री किसमत
वही पुरानी उल्फ़त
धूप सी चमकी स्माइल
तेरे हांथो में दिखा मोबाइल
तब समझ में आया झोल
बाल इस इन अनदर गोल
आस्तीन के कुकुरमुत्ते,,,
अमन के चमन से मकरन्द चुरा के
कुछ मक्खियों ने मुल्क में छत्ते सजा लिए
हर राग पे बेराग गीत भिनभिना के
वे सोचते है सबके छक्के छुड़ा दिए
जयचन्द्र या जाफर,,आजमी या भूषण
अनुभव फिर आस्तीन में कुकुरमुत्ते ऊगा लिए
अनुभव
राजश्व राज,,,
घर घर गूंजे बी वन ,,,काठी में नामान्तरण
छट्टी में बटवारा,,,,फेरो में सीमांकन
आधार नही सबको खसरा नम्बर से पहचाने
आयकर रिटर्न से पहिले आये लगान पटाने
कार्नवालिस की कसम है सबको ऐसी लगाओ आग
तहसील दार को देख के बोले भाग मिल्खा भाग???
अनुभव
अलविदा महामहिम,,,
सागर की एक लघु मोती की ज्योति,,
अंतरिक्छ तक फ़ैल गई,,,
वो मुक्ता जब मुक्त हुई
बादल बन कर ,,अरबो आँखों से बरसी,,
महानायक ,,,अन्अंतिम सलाम
मानसून सा फिर ,,,लौट आना कलाम
अनुभव
मुल्क में
आतंकी फांसी पे ही झूलेगा
सम्वेदनाओं के झूले में नही
गुनाह अदालतें तय करेगी
मजहबी कुनबें नही
भाई हो या भाईजान
सरहद पार से दुआयें लें
असला नही ,,,
बीइंग ह्यूमन ,,,,
दिस इस मेटर ऑफ़ जस्टिस
फूहड़ मनोरंजन का मसला नही
अनुभव
संसद में मानसून,,
प्रश्नो के उत्तर भी प्रश्न है
कुरुछेत्र मे सभी कृष्न है
आरोप पे प्रत्यारोप शेष है
अधिनियम का पर्याय अध्यादेश है
सत्र के समर का यही सार है
एकमात्र समाधान बहिष्कार है
कभी बढ़ी तोन्द से टपकती थी रईसी,,अनुभव
ऐप्स गिन कर तो मजदूर तय होत थेे ,
आज रईसों ने पसीना बहा कर ऐप्स बना लिए,,,
और मजदूरों ने दो रूपये के चावल से फुला ली तोंद ,,,,
बहु मत समझो
कि दब जाए
जवाब मांगेगी
जब चाहे,,,,
वादों के फेरो में
डेहरी चढ़ी
मिजाज भाँप कर
न बिदक जाए
सालों के सपने
रोज की हकीकत
से टकराने लगे है
कि ,,कंही मधुशाला पे ताला
न लग जाए
अनुभव
पी एस सी पास कर सोंचा ,,
अब साहब बनूँगा ,
,साला जिन्न बन गया,,,अब
दिन और रात घिस रहा हु
कभी आदेश पे कभी निर्देश पे
कभी मांगो की मिक्सी में पिस रहा हु
तमाम काम है की होते नही तमाम
न कोई सुबह अपनी न कोई शाम
फिर भी जो कभी कहा की त्रस्त हु
कहते है ,,बहाने बनाता हु मैं भ्रष्ट हु
न परिवार खुश न पूरा इलाका
यही रटता जा रहा है अनुभव
क्या हुक्म है मेरे आका,,,
शाह ए इस्तकबाल में खलल न हो पाए
हुक्म है सभी स्याह ऐनके हटाई जाए
नजरो की वफ़ा झुक झुक के पेश करें
ख्याल रहे ,हालते मुल्क न बेपरदा हो जाए
अनुभव
पूरा नाम ,,,विजय दीनानाथ,,एक किसान
दिनकर राव टोपी सम्भाल
हवा गरेर करत हे
खेत खार के जवूहर होंगे
कि के,, राजधानी के छानही झरत हे
कल करखाना के धूँगीया ले
चूल्हा के रोटी जरत हे
जी डी पी के सूतली में झूल के
निकलत हे जेकर प्रान
पूरा नाम समारू पिता बुधारू
पेशा,,,,, एक किसान
अनुभव
नेता जी बोले
खेत मर गए
फ़स्ल मर गई
किसान मर गया
""""
तभी उनके सामने
पेड़ से लटक कर
एक इंसान मर गया
""""
और वो पूछते है
किस दल का है?????
सुन कर लगा कि
हिन्दुस्तान मर गया
अनुभव
दिन गए जब ओहदे के ,जलाल थे अनुभव
अब तो यूँ नोकरी ,करते नही बचाते है
पेशानी के पशीने से तेरा वेतन निचुड़ता है
और वो पूछते है साहब कितना कमाते है
अनुभव
दंड का अरण्य ,,, बस्तर
दंड भोगते उस अरण्य में ,,
फिर गरजे बारूदी मेघ
रक्त सिक्त वो गीली माटी
जले मांस सी ममहा गई
किसी क्रान्ति की भ्रान्ति में
माओ के नारे टर्राते
छिपे टोड इक इक कर उफ़्ले,,
साल सगोंन तनो पे लपलपाती
जिव्हा विकास की
लार टपकाती,,ठिठक गई
सभ्यता का इंद्रधनुष बन कर
लटक गई,, कोने में,
वो खेतो में बीज छिड़कता ,,
अधनंगा बन्दर सोंचता रहा
जाने कैसी फ़स्ल उगेगी
किसकी कितनी भूख मिटेगी ,
ऐसे अनबुझे से उत्तर खोजता रहा,,,
अनुभव
आप ,,,तोर भाई बाप
चुनाव के पहिली आप
जीतस तन्हा ले तोर ,, भाई ,, ,,बाप
किंजर -किंजर के बखानत हवे
सत्ता के छत्ता में मधुरस ममहाइस तन्हा
मुद्दा ,मुड़ सुद्धा ,,अपन वादा जनाइस तन्हा
लोकतन्त्र ल लील दिस गा "आम आदमी"
अब ,,माछी कस भुंनभुनावत हवे
बदलाव के आंधी ,,
कोनो अन्ना कोनो गांधी
दिल्ली के दिल भीतरी ले जिन्न कस निकलगे
अब ,,जनता के ममता के भुर्री जरावत हवे
अनुभव
केंगारु के चांटा,,,
जांगर चोट्टा कोहली हा ,,,चिरक दिस
रेमटा रैना तको झट ले ,,बोचक दिस
झकला झरेजा हा घलो दिस गा,, झर्रा
युवराज ल काबर ढीले होबे रे धोनी ,,तेला बता
नै लौटान नै लौटान कई के लुलुवा देस
मउका,, मउका कई के चुचुवा देस
सिडनी के सेमी में मिलिस जरोए भाँटा
सारा बेटा केंगारु चटाक ले मार दिस चांटा
अनुभव
हपट हपट के रेंगे ह़ो,,,
गारी संग रोटी खायेव ह़ो ,,
जिनगी के अरचन बांचे हे ,,
तो मन्हू कन्हा सिराय ह़ो ,,
मिहनत के बादर नै बरसिस,,,
माथा ले पानी पलोय ह़ो
किस्मत के छाती जोते ह़ो ,,,
पीरा के फसल उगायेव ह़ो ,,
अनुभव
होली माँ हरिया गया
घाम घलो सिरा गया
बजट में अस तपई तपा
मानसून लहुट के आ गया
महंगाई भोमरा कस जरोता है
सर्विस टेक्स घलो पदोता है
भोकवा पब्लिक काला जाने
बने दिन अइसने होता है
अनुभव
विकास vs बिकाश
बिकाश आवथ हे ग ,,
बिकाश आवथ हे ,,
लाल बत्ती गाड़ी ,,,
तेमा गोंजाय हे अधिकारी ,,
धुर्रा उडा गिस ,,
तो दुकालू खासत हे ,,
काम के गारंटी ,,औ
आनाज के गारंटी ,,औ
लइका औउ पिचका के शिक्षा के गारंटी ,,
गारंटी के नारा ऊपर ,,
खेमिन छेना थापत हे ,,
खालेह के खार माँ ,,
लोहा के करखाना,,
बेच दिस खेत ला ,,
उठा लिस बयाना ,,
एक रूपया चाउर खवैया ,,
येदे होंडा बिसावथ हे ,,
फेक्ट्री माँ काम कर ,,
अस्सी रूपया रोजी ,,
हवे बिक्कट मिहनत फेर ,,
संझकेरहा के जुगाड़ हो जही,,
गोवा के चेपटी पी के ,,
जम्मो गाव नाचथ हे ,,,गा
बिकाश आवथ हे ,,
अनुभव
बराक के बरात
बराक आवत हे या फेर बरात आवत हे
मोंगरा माला धरे मोदी पर्घनावत हे
मोरया शेरेटन में सजे हे जनवासा
ऍफ़ बी आई कोपरा में पनवार खावत हे
अस के इंतजाम के छूट जाय प्राण
दाइज में बनारसी साडी जोरावत हे
बड़े घर ले रिश्ता में इही रिथे चकल्लस
घराती नाचत हे औ बराती नचवावत हे
अनुभव
सिरपुर
एक शहर जो सदियो पहले
माटी ओढ़ के सोया था
एक शहर जो इतिहास गर्भ में
विस्मृत हो कर खोया था
लो जाग उठा
महानदी का जल छीच
उठ खडे हुऐ
मन्दिर विहार
पुनः उसी निर्वाण भाव से
फिर मुसका दिए तथागत
ज्यो जल छूटा जलोहरि से
झनझना उठी घण्टियाँ
शिव देवालयों कि
सिरपुर,, यथावत
सम्बोधि का आसन् लेकर
यूँ बैठ गया है
अनुभव शर्मा