मैं छिपकली,,
दीवार पे खीली ,ईक कली,,,,
मैं छिपकली,,
उलटी हुई दुनिया की ,,
सच्चाई देखती हु,,
मैं अपने भाग के कीड़े ,,
निगेल रही हु,,,औ
आदम के बढ़ती भूख की
गहराई देखती हु,,,
जहां बिक् रहा हर रिश्ता
जहां ईमान इतना सस्ता
झूठी ईसानी दंभ की
ऊंचाई देखती हु,,
जो खुदा को बेचता है,
और खुद को पूजता है
ऊस माँटी के पुतले की
खुदाई देखती हु,,,,,,,,,,,
दीवार पे खीली ,ईक कली,,,,
मैं छिपकली,,
उलटी हुई दुनिया की ,,
सच्चाई देखती हु,,
मैं अपने भाग के कीड़े ,,
निगेल रही हु,,,औ
आदम के बढ़ती भूख की
गहराई देखती हु,,,
जहां बिक् रहा हर रिश्ता
जहां ईमान इतना सस्ता
झूठी ईसानी दंभ की
ऊंचाई देखती हु,,
जो खुदा को बेचता है,
और खुद को पूजता है
ऊस माँटी के पुतले की
खुदाई देखती हु,,,,,,,,,,,
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