बुधवार, 26 जुलाई 2023

मधुमेय के रसिया

मधुमेय के रसिया
औचक ही डॉक्टर अवाक अर्जुन की भांति ,,मरीज को घूरने लगा,, जानो उसने कुरुक्षेत्र के मैदान में विराट स्वरूप का विहंगम दर्शन कर लिया हों ,मेज के  ठीक सामने  अधरों पे मन्द मन्द मुस्कुराता मनो भारी मरीज विद्यमान था ,, ठीक केसव के भांति ,,,
   हे तात !!! आपकी रक्त वाहिनियों में शक्कर का गाढ़ा सीरा प्रवाहित हो रक्खा है,,ये रिपोर्ट कहती है,,,,कंही शरीर के बगलों में मधुमक्खियों ने छत्ता तो नही बना रखा है जरा देखिए,,,,मरीज अब भी मुस्कुरा रहा था,,मानो वो परीक्षा पूर्व ही रिजल्ट से परिचित हो,,,डॉक्टर साब नियमित दवाई तो खा ही रहा हु,,,सुबह की कब्ज से ही किसी तरह निपट कर ,,,,अनुपम उद्यान की तीन परिक्रमा ,,करेले के काढ़े के संग शामिल है,,,नियमित,,,अनजाने अनाजों के आटे में गुथी विचित्र चपातियां  मुर्दे सलाज़ के ढेर में लपेट कर ,,, कंठ से धकेलता हूं,,, एक चम्मच चावल संग,,,और फिर हर गुजरते घण्टे फूटती किस्मत संग फूटा चना ,,,आखिर ये शर्करा आता कन्हा से है ,,,,मरीज ने आधा मुह बंद कर प्राचीन गाली को निकलने के पहले ही फट से चबा लिया,,,
          पर डॉक्टर तक भावनाएं  सम्प्रेषित हो चुकी थी,,, कुछ घड़ी में  मती में लीन होकर ,,,समाधान निकला,, इन्सुलिन ,,बस अब यही चारा है,,,मानो मरीज भी इसी निष्कर्ष के साथ ही हॉस्पिटल की सीढ़ियां चढ़ा था,,इसलिए हुंह स्वर से समर्थन किया,, ये अंदर बैठे शरीर के ,,कलेजे गुर्दे भी जानते थे उन्होंने भी ढुंह करके दूसरी ध्वनि भीतर से छोड़ी,,,,,दवाई लिखते डॉक्टर को फिर कुछ छटपटाहट हुई,,, वैसे समोसे के संदर्भ में आपके क्या विचार हैं,,   
              मेज के उस पार वो मुख झट कटोरे भर लार से लबरेज हो गया,, झटकती हुई गरदन में से गटकते हुए,,वो गम्भीर होकर बोला,,,नही ,, कभी नही मैदे से तो मुझे एलर्जी है,,उफ्फ,तेल में डूबा हुआ वो पिरामिड ,,,ममी ही तो बनाएगा और क्या,,,उससे तो बेसन बेहतर है,,,चने की तासीर तेल की वसा को नेस्तानाबूद कर देती है वाट्स एप का मैसेज है फारवर्ड करूँ,,उसने मोबाइल उठा लिया,,, डॉक्टर की कलम प्रिस्क्रिप्शन में कंही अटक गई, नही जरूरत नही,,,फिर आलू गुंडे या  भजिये,,,  मरीज को डॉक्टर पर अपनी बातों का प्रभाव तत्काल दिखा,, उसने बेसन का जार खोल दिया,,,, आलू चाप ,,हगरु हॉटल के आपने खाये है कभी ,,,,अरे यंही अग्रसेन चौक पे,,,, गरमा गरम  चार बजे ही मिलते हैं,,, पीले बटरे और लाल फटाका चटनी संग,,,लार फिर भरती जा रही थी,,सर ट्राई कीजिए बस,,,पतली बेसन की परत ,,,खड़े धनिये की महक ,,,और हरी तली मिर्च,,,मतलब ऊपर जितने कुरकुरे ,,भीतर से उतने ही गुतुर,,, परसा पत्ता के दोना में सपेट के खाइये,,,कन्हे तो मंगाउ,,,,लखन ले आएगा अभी,,अपना ड्राइवर,,, 
       पता नही कैसे !!डॉक्टर साहब को बच्चन जी की पंक्तिया याद आ गई,, मेल कराती मधुशाला,,, मधुमेय के इस रोगी की दिनचर्या की परतें यदि और खोली जाती तो वो मेज भांति भांति के जायकों और उनके साथियों से भर जाती ,,लखन ले आता अरे वही ड्राइवर,,  ,,, इन्सुलिन में सहमति तो पहले ही बन चुकी थी,,, प्रिस्क्रिप्शन का उपसंहार था,,आलू गरिष्ठ होते है अतः चाप की बजाय भजिये पकोड़े ही बेहतर होंगे ,, पर सदा इन्सुलिन के साथ ,,,,

अनुभव


       

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