बुधवार, 28 जून 2017

बंटवारा

बंटवारा

आग से अस्सी फीसद झुलसी हुई हेमा बिस्तर में तरमरा रही थी पीड़ा से,,,,पति का प्रेम ,,जमा पूंजी जैसे कम होता गया,,आखिर दवा दारू तो चहिये ही,,,अस्पताल के बिस्तरा से ही चीखी,,मोर बाप के जमीन ल बेंच ,,भगा के बिहाव करे ले हमर हिस्सा बांटा थोड़े सिरा जाही,,,,,पति बात लपक गया,,
          आवेदिका को पुश्तैनी जमीन में बंटवारा चाही इलाज खातिर,,बूढ़े दाई ददा बिरादरी में प्रेम बिहाव का दाढ़ चुकाए बैठे थे ,,तहसील में आन जात दामाद को परघाते चीख पड़े,,मन पसन्द बिहाव में का हिस्सा का बांटा,, ,,,,भगा उड़ा के लेगे रेहेस ,,बेटी ल,,अब जरा दे या पौल दे,,,ये जमीन नही हमर बेटा हरे,,डोकरा
डोकरी के गुजारा साहेब,,,उही ल झीख देबे,,त टोटा घलो ल मसक दे,,,येई जमीन मां आँखि गाड़े रहे तभे,,,भगाये रेहेस ,,सुआ कस मोर बेटी ल ,,मदहा नितो,,,
              दाई ददा अपनी बेटी के आवेदन का प्रति परिकच्छन ,,बर्न यूनिट वार्ड में कर रहे थे,,हेमा किसे जरेस बेटी,,,इही आगि ता नई बार दिस ओ,,दमाद नशे में भी अपने अधिकार बोध से दूर नही था,,,फेर फालतू बात,,,,हेमा की पीड़ा उसकी दुधमुंही बच्ची के कल्पने से होते हुए बूढ़े मां बाप की आंखों से फूट पड़ी,,जब दिलो के बंधन खुल गए,,तो फिर दमाद जमीन बंधक चढ़ा आया ,,इलाज खतिर,,,बंटवारा,, प्रकरण खारिज,,,

अनुभव

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