गुरुवार, 29 मई 2025

नंदडू या कमल ककड़ी जो,,,हमारे यहां ढेस के नाम से मशहूर है,,, यखनी का शाकाहारी कलेवर,,,कभी चखा था ,,पहलगांव की वादियों में ,,आज अपने बावर्चीखाने में उस चटखारे की कवायत हुई,,यखनी है, पारंपरिक पारसी मिट्टी के बर्तनों में बनाने वाली ग्रेवी,, जो मध्यकाल में रेशम मार्ग से होते हुए पीर पंजाल की डेग तक पहुंची,, दही पुदीने ,,सौंफ इलायची,,, और क्रेमलाइज्ड ऑनियन की नजाकत नफासत ,,ताजे तिरछे कटे नंदडु का ताल मेल ,,, छत्तीसगढ़ की कढ़ियों से कुछ जुदा मिजाज लिए हुए,,ये 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें