बहु मत समझो कि दब जाए जवाब मांगेगी जब चाहे,,,, वादों के फेरो में डेहरी चढ़ी मिजाज भाँप कर न बिदक जाए सालों के सपने रोज की हकीकत से टकराने लगे है कि ,,कंही मधुशाला पे ताला न लग जाए अनुभव
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