लोकतंत्र के लकड़बग्घे शिकार नही करते, इत्मीनान से जूठन खाते है मानसून मैदानों को हरियाती है हिरण तब चरने आते है शेरों के झुंड
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें