खखोल ले संचेती,,,,,छत्तीसगढ़ ला
आ संचेती खखोल ले गा ,,
इन्हा सब बाजार माँ बिकथे रे ,,
राजा ,,मंत्री ,,सब करथे धंधा ,,
औ घर भीतरी आगि मुतथे रे ,,,
दाई महतारी के सांटी बिकथे ,,
बिकत हे बाप ददा के खेत खार ,,
भाई बहिनी के मिहनत के सौदा ,,
औ मया पीरा के इन्हा ब्यापार ,,
ब्यापारी बर जेन कोयला हे ,,,
हमर लइका के ,,आंखी के काजर हे ,,
जेला महतारी अपन दूध ले आंजे हे ,,
फेर लइका के फूटे जांगर हे ,,
जेन बैठ के भुर्री तापत हे ,,
जब कोनो दाई के छाती नापत हे ,,
ऐसे बढ़िया छत्तीसगढ़इया के ,,
जिनगी माँ भाई लानत हे ,,,,
अनुभव
आ संचेती खखोल ले गा ,,
इन्हा सब बाजार माँ बिकथे रे ,,
राजा ,,मंत्री ,,सब करथे धंधा ,,
औ घर भीतरी आगि मुतथे रे ,,,
दाई महतारी के सांटी बिकथे ,,
बिकत हे बाप ददा के खेत खार ,,
भाई बहिनी के मिहनत के सौदा ,,
औ मया पीरा के इन्हा ब्यापार ,,
ब्यापारी बर जेन कोयला हे ,,,
हमर लइका के ,,आंखी के काजर हे ,,
जेला महतारी अपन दूध ले आंजे हे ,,
फेर लइका के फूटे जांगर हे ,,
जेन बैठ के भुर्री तापत हे ,,
जब कोनो दाई के छाती नापत हे ,,
ऐसे बढ़िया छत्तीसगढ़इया के ,,
जिनगी माँ भाई लानत हे ,,,,
अनुभव