मंगलवार, 26 मई 2015

क्या हुक्म है मेरे आका

पी एस सी पास कर सोंचा ,,
अब साहब बनूँगा ,
,साला जिन्न बन गया,,,अब
दिन और रात घिस रहा हु
कभी आदेश पे कभी निर्देश पे
कभी मांगो की मिक्सी में पिस रहा हु
तमाम काम है की होते नही तमाम
न कोई  सुबह अपनी न कोई शाम
फिर भी जो कभी कहा की त्रस्त हु
कहते है ,,बहाने बनाता हु मैं भ्रष्ट हु
न परिवार खुश न पूरा इलाका
यही  रटता जा रहा है अनुभव
क्या हुक्म है मेरे आका,,,

गुरुवार, 14 मई 2015

शाह

शाह ए इस्तकबाल में  खलल न हो पाए
हुक्म है सभी स्याह ऐनके हटाई जाए

नजरो की वफ़ा झुक झुक के  पेश करें
ख्याल रहे ,हालते मुल्क न बेपरदा हो जाए

अनुभव

शुक्रवार, 8 मई 2015

पूरा नाम ,,

पूरा नाम ,,,विजय दीनानाथ,,एक किसान

दिनकर राव टोपी सम्भाल
हवा गरेर करत हे
खेत खार के जवूहर होंगे
कि के,, राजधानी के छानही झरत हे
कल करखाना के धूँगीया ले
चूल्हा के रोटी जरत हे
जी डी पी के सूतली में झूल के
निकलत हे जेकर प्रान
पूरा नाम समारू पिता बुधारू
पेशा,,,,, एक किसान
अनुभव