मंगलवार, 26 मई 2015

क्या हुक्म है मेरे आका

पी एस सी पास कर सोंचा ,,
अब साहब बनूँगा ,
,साला जिन्न बन गया,,,अब
दिन और रात घिस रहा हु
कभी आदेश पे कभी निर्देश पे
कभी मांगो की मिक्सी में पिस रहा हु
तमाम काम है की होते नही तमाम
न कोई  सुबह अपनी न कोई शाम
फिर भी जो कभी कहा की त्रस्त हु
कहते है ,,बहाने बनाता हु मैं भ्रष्ट हु
न परिवार खुश न पूरा इलाका
यही  रटता जा रहा है अनुभव
क्या हुक्म है मेरे आका,,,

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें